छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
अइसे बनउटी भाव हे बैमान के
जइसे खवा देही करेजा चान के
पानी ल लेही झोंक का जाही बिगड़
जब खेत मा खेती करे हे धान के
सिरतोन मैं ब्लडबैंक मा देखे हवॅंव
मुॅंह रक्तदाता कस रथे भगवान के
पक्का हे ए हा आय समदायिक भवन
पाखा म रंगोली हे गुटका पान के
हिस्सा म साढ़े तीन हाथ आही सगा
हर हाल मा मिलही जघा शमशान के
तॅंय बाॅंट ले कतको कभू रीतय नहीं
भरही भलुक दिन-रात कोठी ज्ञान के
'सुखदेव'पाबे सोनहा संगी इहॉं
ये सोनहा माटी ये हिन्दुस्तान के
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
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