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Saturday, 12 December 2020

ग़ज़ल -आशा देशमुख* 🌹

 🌹 *ग़ज़ल -आशा देशमुख* 🌹


*बहरे रमल मुरब्बा सालिम*

*फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन*

*2122 2122*


माल खावत हे हकन के।

आय पइसा हा गबन के।1


खेत बारी बेच डारे

काय कीमत हे रतन के।2


ठोसहा ला फेंक आये

फोकला राखे जतन के।3


दूसरा बर जी हजूरी

पेट मारत हे अपन के।4


जीभ हे अँगरा सहीं अउ

बोल बोलत हे भजन के।5


विष घलो अमरित बने हे

कृष्ण मीरा के लगन के।6


बिन अगिन के राख होथे

छल कपट बैरी जलन के।7


घोर बिपदा आय नारी

लाँघ झन  रेखा लखन के।8


बन तहूँ हुशियार आशा

मान रख गुरुवर कथन के।9


आशा देशमुख

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