गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122
आँफिसर आराम खोजय
अउ व्यपारी दाम खोजय
रोज के मजदूर भाई
रोटी सेती काम खोजय
चापलूसी मनखे अब तो
हर ठिहाँ मा नाम खोजय
चाहे बिहना हो सँझा बस
दरुहा मनखे जाम खोजय
जाड़ कातिक पूस के तो
रँउनिया के घाम खोजय
खुदके घर मा नून नइये
परके घर बादाम खोजय
कतको मन खोजत हे धन पद
'ज्ञानु' हा प्रभु राम खोजय
ज्ञानु
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