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Saturday, 12 December 2020

गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी बहरे रमल मुरब्बा सालिम

 गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी 

बहरे रमल मुरब्बा सालिम

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन 

2122 2122


आँफिसर आराम खोजय

अउ व्यपारी दाम खोजय


रोज के मजदूर भाई

रोटी सेती काम खोजय


चापलूसी मनखे अब तो 

हर ठिहाँ मा नाम खोजय


चाहे बिहना हो सँझा बस 

दरुहा मनखे जाम खोजय


जाड़ कातिक पूस के तो 

रँउनिया के घाम खोजय


खुदके घर मा नून नइये

परके घर बादाम खोजय


कतको मन खोजत हे धन पद

'ज्ञानु' हा प्रभु राम खोजय


ज्ञानु

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