गजल- मनीराम साहू
बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
अड़बड़ करत हे घात चिटको ध्यान दव।
चिमनी धुवाँ दिन रात चिटको ध्यान दव।
बाढ़त हवय बड़ रोग ऋतु मा जाड़ के,
सब खाव ताते तात चिटको ध्यान दव।
होथे नफा तन ला करे ले योग के,
सच सार हे ये बात चिटको ध्यान दव।
मिहनत अबड़ लगथे फसल उपजाय बर,
फेकव न रोटी भात चिटको ध्यान दव।
हे बड़ जरूरी गा सफाई सँग रखव,
हप्ता के दिन जी सात चिटको ध्यान दव।
शेखी बघारे नइ मिलय कुछ जान लव
तुम झन भुलव अवकात चिटको ध्यान दव।
हे गोठ खाँटी सुन मनी सउँहे सरग,
हाबय चरन पितु मात चिटको ध्यान दव।
- मनीराम साहू 'मितान'
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