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Friday, 4 December 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम 

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन 


2212  2212  2212  


सुलहारही गर मा गरी अरझात ला

पतियाव झन परलोखिया के बात ला


पाछू लबेदा मार कसके झोरही 

पहिली फरे-फर टोरही अमरात ला


सरकारी सथरा आय जादा सोच झन

पानी मिला बासी बनाले भात ला


बिश्वास कर जोनी जनम सब एक हे

काबर छुपाथस यार मनखे जात ला


कब तक हुॅंकारू भर हलाबे मुड़ अपन

कुछ तो बढ़ा 'सुखदेव' निज औकात ला


                 -सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

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