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Saturday, 12 December 2020

गजल- मनीराम साहू 'मितान'

 गजल- मनीराम साहू 'मितान'


बहरे रमल मुरब्बा सालिम 

फ़ाइलातुन  फ़ाइलातुन 

2122   2122 


बस उही हा काम के हे।

नाम जे सुखधाम के हे।


हे दिखत सच्चा असन जे,

सच कहँव वो नाम के हे।


पेर जाँगर बड़ कमाथे,

दाग सब वो घाम के हे।


खास मन‌ हें सब मजा मा,

भाग मा दुख आम के हे।


पा जथे जी मान‌ पछुवा,

खेल तो सब दाम के हे।


हे लहू हा लाल सबके,

बस फरक ये चाम के हे।


सुख कहाँ पाही मनी हा,

बस मा जब आराम के हे।


- मनीराम साहू 'मितान'

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