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Thursday 6 August 2020

गजल--चोवा राम 'बादल'

 गजल--चोवा राम 'बादल'


बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

212   212   212   212


तोर सुरता म निच्चट भुलाये रथवँ

मोह माया म छिन छिन छँदाये रथवँ


झन कभू पाँव में तोर काँटा गड़ै

संसो के रोज दियना जलाये रथवँ


फूल पाती चढ़ा अउ नवाँ माथ ला

देवधामी तको मैं मनाये रथवँ


घाम जाने नहीं  छाँव पाये सदा

वो मया कुँदरा अभ्भो बनाये रथवँ


आँखी के पुतरी तैंहा मयारुक अबड़

आँखी आँखी म तोला झुलाये रथवँ


 होबे कइसे के अनजान हाबय जगा

सोर बर सूर उहँचे लमाये रथवँ


तैं सुखी राह *बेटी* वो ससुराल में

मन उही भाव कोती लगाये रथवँ


चोवा राम 'बादल'

हथबन्द, छत्तीसगढ़

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