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Monday, 3 August 2020

छत्तीसगढ़ी गज़ल -मोहन वर्मा

छत्तीसगढ़ी गज़ल -मोहन वर्मा

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212  212  212  212

आदमी ला गरब अउ भरम होगे हे ।
बेंच मरजाद ला बेसरम होगे हे।

जा पता नइ करे तँय सदर भीतरी, 
सोन-चाँदी के कीमत नरम होगे हे।

जानकारी कहाँ ले जुटाये हवस, 
रोज पइसा कमाना धरम होगे हे ।

नौकरी लग जही गा कहत हे ददा,
जेब साहेबमन के गरम होगे हे ।

माँग- प्रस्ताव मा का लिखे हस बता,
मामला फिट करे के करम होगे हे ।

भागमानी कहाथस अपन आप ला,
भेद जाने नहीं सब मरम होगे हे ।

देख " मोहन "खवाके गटारन घलो, 
पेट पीरा ह बाढ़े- चरम होगे हे ।

--- मोहन लाल वर्मा
ग्राम अल्दा, तिल्दा, रायपुर (छत्तीसगढ़)

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