छत्तीसगढ़ी गज़ल -मोहन वर्मा
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
आदमी ला गरब अउ भरम होगे हे ।
बेंच मरजाद ला बेसरम होगे हे।
जा पता नइ करे तँय सदर भीतरी,
सोन-चाँदी के कीमत नरम होगे हे।
जानकारी कहाँ ले जुटाये हवस,
रोज पइसा कमाना धरम होगे हे ।
नौकरी लग जही गा कहत हे ददा,
जेब साहेबमन के गरम होगे हे ।
माँग- प्रस्ताव मा का लिखे हस बता,
मामला फिट करे के करम होगे हे ।
भागमानी कहाथस अपन आप ला,
भेद जाने नहीं सब मरम होगे हे ।
देख " मोहन "खवाके गटारन घलो,
पेट पीरा ह बाढ़े- चरम होगे हे ।
--- मोहन लाल वर्मा
ग्राम अल्दा, तिल्दा, रायपुर (छत्तीसगढ़)
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