ग़ज़ल ---आशा देशमुख
*बहरे रजज मखबून मरफू मुखल्ला*
मुफाइलुन फाइलुन फ़उलुन मुफाइलुन फ़ाइलुन फ़उलुन
1212 212 122 1212 212 122
टुरा परे हे इशक मुशक मा ,गधी घलो हा परी दिखत हे
रुके न पतरी में झोर पनियर,मया ला अंडा करी दिखत हे।
भरे हे नदिया नहर कुआँ सब ,हँसत मछंदर हा डाल जाली
कहत मदन चल रे अब दुकालू ,सबो डहर अब गरी दिखत हे।
अपन अपन भाग मा कमाये,कहूँ भरे हे कहूँ हे जुच्छा
गरीब घर के तको गलीचा,धनी हा वोहा दरी दिखत हे।
मया के आँखी ले देख बइहा,हवय जगत हा अबड़ सुहावन
कोनो ला दिखथे हे श्याम सुंदर,कोनो ला बिलवा खरी दिखत हे।
मनाय पार्टी रखे बफर हे,पनीर शाही रखे मखाना
कहाँ लुकाये हे स्वाद जिभिया ,हमर नज़र मा बरी दिखत हे।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
Total Pageviews
Saturday 8 August 2020
ग़ज़ल ---आशा देशमुख
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गजल
गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...
-
ग़ज़ल -जीतेंन्द्र वर्मा'खैरझिटिया'* *बहरे रमल मुरब्बा सालिम* *फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन* *2122 2122* पैदा होवत पर निकलगे। फूल के बिन फर निकल...
-
गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...
-
गजल-जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया" *बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम* *मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन* *2212 2212 2212* अब बता बिन काम के...
No comments:
Post a Comment