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Monday 17 August 2020

ग़ज़ल ---आशा देशमुख

 ग़ज़ल ---आशा देशमुख

*बहरे रजज मखबून मरफू मुखल्ला*

मुफाइलुन  फाइलुन फ़उलुन मुफाइलुन  फ़ाइलुन  फ़उलुन

1212  212  122  ,1212 212 122


परत हे हाँका गली डहर मा, तिहार तीजा बुलात नइहे
कहाँ ले आये हवय करोना ,भगाय कतको भगात  नइहे।

अगास धरती हवा हे एके,नदी कुँआ मा हे एक पानी
बटाय मजहब धरम म मनखे,लगाय आगी बुझात नइहे।

सुमत के घर म करव बसेरा,इही सरग हे इही हे ईश्वर
भले लगाए हे भोग छप्पन ,मया बिना तो मिठात नइहे।

धरे दुकानी करे मिलावट ,करत हवँय देख बेईमानी
मिलात हें अन्न मा जे कंकड़ ,चना उही ला चबात नइहे।

कमा कमा के पढाय लइका,घुमत हवय बस शहर नगर मा
करत हे संसो ददा अउ दाई,जवान लइका कमात नइहे।

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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