बहरे कामिल मुसम्मन सालिम*
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212
दिये हे मजूरी मकाम घर ये शहर नगर ये शहर नगर
ये ल छोड़ नइहे गुजर-बसर ये शहर नगर ये शहर नगर
सुबे देख ए ला के दिन बुड़त के खरे मॅंझनिया के रात के
खड़े रात-दिन हे सम्हर-पखर ये शहर नगर ये शहर नगर
चले डोंगरी के पहाड़ ले के ओ गॉंव टोला दुवार ले
इहाॅं आ थिराथे ग हर डगर ये शहर नगर ये शहर नगर
जे ल लागथे ओ ह जागथे मनोकामना धरे भागथे
इहॉं रात होय न दोपहर ये शहर नगर ये शहर नगर
हरे केन्द्र अन्न के ज्ञान के जघा हर जरूरी समान के
इहॉं मौसमी सबे फूल फर ये शहर नगर ये शहर नगर
ओ रहे सकय नहीं चार दिन पेंड़ी गॉंव मा जुना ठॉंव मा
जे ल ये शहर के परे टकर ये शहर नगर ये शहर नगर
हो'ॲंजोर'जल्दी निराश झन बुता-काम रोज हजार ठन
चिन्ह के हुनर के करे कदर ये शहर नगर ये शहर नगर
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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