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Friday 28 August 2020

गजल- दुर्गा शंकर ईजारदार

गजल- दुर्गा शंकर ईजारदार

बहरे कामिल मुसम्मन सालिम

मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212

धरे हाथ मा धरे हाथ ला कभू बैठ झन तैं उदास रे,
कभू हार हे कभू जीत हे इही सोच भरले उजास रे।।

नसा नास करथे रे जान ले कभू जान के कभू मान के,
तहूँ गाँठ बाँध ले बात ला तैं तो छोड़ दे नसा बास रे।।

जुआ खेल मा नहीं बाँचे गा सरी जायदाद तो चल अचल,
कभू भूल के भी तो खेल झन जुआ बर तो  तैं परी तास रे।।

कहाँ आज मनखे खुशी हवय कहाँ आज मनखे हँसत हवय,
हवै आज मनखे निराश गा दिखे जान नइये हे लास रे।।

कहाँ नीम के दिखे छाँव गा कहाँ सुमता के दिखे गाँव गा,
कहाँ राम लीला के ठाँव हे कहाँ कृष्ण लीला के रास रे।।

दुर्गा शंकर ईजारदार -सारंगढ़(छत्तीसगढ़)

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