छत्तीसगढ़ी गजल .दुर्गा शंकर ईजारदार
बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 122
धरम करम ला भुलाके तैंहर मया पिरित मा भुलाये हावस,
हँसी ठिठोली भुलाके बइहा तैं थोथना ला फुलाये हावस।।
लगे हवय अस्पताल ताला करे हवस स्कूल ताला बंदी,
जगा जगा मा तैं दारू भठ्ठी बड़े बड़े तो खुलाये हावस।।
धरे रा गठरी तैं आस के गा तभे तो हिम्मत हा काम आही,
कमर बने कस के तैं तो उठ जा नजर तैं काबर झुकाये हावस।।
नवा जमाना के आय फैशन बिगाड़ डारे हवस चलन ला,
टुरा जनम ला धरे हवस अउ तैं कान बाली झुलाये हावस।।
बिना कमाई भरे नहीं गा हो चाहे चाँटी या पेट हाथी,
धरे जनम आदमी तैं दुर्गा जवान जाँगर चुराये हावस।।
दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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Wednesday, 12 August 2020
छत्तीसगढ़ी गजल .दुर्गा शंकर ईजारदार
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गजल
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