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Saturday 8 August 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-चोवा राम 'बादल'

 छत्तीसगढ़ी गजल-चोवा राम 'बादल'


*बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला*


मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन


1212 212 122 1212 212 122


भरे हे शक्कर उहाँ हे चाँटा तभे तो नाता बने बने हे

खिसा मा पइसा धरे हवै वो तभे तो मितवा बने बने हे


मिले हे कुर्सी अबड़ जतन मा तहूँ हा काबर पिछू परे हच

करे हे कहिथें वो थूँक पालिश बता तो लड़ुवा बने बने हे


खुदे बिमारी मा जे मरत हे टमड़ के नाड़ी इलाज करथे

धरे कुदारी गुनी वो बइगा जरी खनइया बने बने हे


उपर छवा हे मया के बोली जगा जगा जाल फेंके हावय

निचट हवै चालबाज लबरा कसम खवइया बने बने हे


चढ़ा के बाँही जे ताल ठोंकय गरम जनावय जुबान जेकर

भजन करत हे रमायनी कस भगत वो बगुला बने बने हे


नचा नचा के थकोथे भारी कहाँ वो देथे कभू थिरावन

हवै ग सिरतोन मन हा बैरी तभो ले हितवा बने बने हे


अबक तबक जीव छूट जाही का तैं बरसबे तभे रे 'बादल'

किसान हे टकटकी लगाये बरस जा मौका बने बने हे


चोवा राम 'बादल'

हथबन्द, छत्तीसगढ़

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