Total Pageviews

Monday 10 August 2020

छत्तीसगढ़ी गजल- मनीराम साहू‌ 'मितान'

 छत्तीसगढ़ी गजल- मनीराम साहू‌ 'मितान'

बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला

मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन

1212 212 122 1212 212 122

भरे हवय छल कपट भगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।
बसन‌ रॅगन‌ नइ हृदय रॅगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

बुता कमाबो अपन ससन भर, हमन‌ बहाबो अपन पछीना,
नठाय किस्मत अपन जगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

बनत बिगड़थे बनत उजरथे, रहय करू झन गा बोल भाखा,
मया पिरित मा हमन ठगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

घुॅचन नही हम करे ले करतब, परन करिन गा हमन सबो झन,
छिनाय दॅइयत अपन नॅगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

छिनात हाबय हमार भुइयाॅ, सुते रबो तव उचकही बइरी,
अपन‌ हृदय के अगिन दगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

अमात हाबय जहर बदन‌ मा, घुरत हवय नित धुआं पवन मा,
जघा जघा रुख हमन लगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

रटन धरे हे मनी ह एके, हवयॅ मनुज मन सबो बरोबर,
दुवा भुॅयाॅ ले हमन टॅगा के, अपन‌ बनौकी चलव बनाबो।

- मनीराम साहू 'मितान'

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...