Total Pageviews

Saturday, 1 August 2020

ग़ज़ल--आशा देशमुख

ग़ज़ल--आशा देशमुख

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

212  212  212 212

सौ भले हे बड़े पाँच भारी पड़े
ताम पीतल म हे काँच भारी पड़े।

झूठ बइठे तराजू म क्विंटल किलो
एक तिल के सहीं साँच भारी पड़े।

डालडा हा जमे सोझ निकले नही।
नानकुन अंगरा आँच भारी पड़े।

लाख रुपिया के जानव सुबे के हवा
बैद डॉक्टर दवा जाँच भारी पड़े।

रेल लोहा हवय लाद लोहा चलय
जाय पटरी उखड़ खाँच भारी पड़े



आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...