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Monday 3 August 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन 
212 212 212 212 

ला बिसा के मया प्रेम के हाट ले।
बाँट नफरत नही लोभ के घाट ले।।

ज्ञान के बात बोलै सदा लेखनी।
न्याय स्याही भरे सत्य के बाट ले।।

चार दिन के जवानी पहा सुख धरे।
फिर बुढ़ापा पहाये हे दुख खाट ले।।

प्रेम बिरवा लगा छाँव सुख जन मिले।
काँटा कुमता गड़े पाँव ना काट ले।।

एक मनखे सबो एक हे तो लहू।
भेद खाई बढ़े रात दिन पाट ले।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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