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Friday, 14 August 2020

छत्तीसगढ़ी गजल-चोवा राम वर्मा'बादल'

 छत्तीसगढ़ी गजल-चोवा राम वर्मा'बादल'

*बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला*

मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन

1212 212 122 1212 212 122

अबड़ हे मँहगा जी दिल के सौदा लड़ाबे आँखी बिचार करके
हँसे ल परथे गिरा के आँसू सँजोये सपना खुवार करके

कभू बिछुड़ना कभू हे मिलना दरद के धुर्रा चले बड़ोरा
तभे सजन के झलक हा मिलथे अगिन के दहरा ल पार करके

अजब हवै प्रेम हा लोग कहिथें  परान देके निभाथें कतकों
इहाँ कहानी सुने ल मिलथे अमर हे राँझा पियार करके

जमाना बैरी सदा रहे हे  अभो मरत हे सलीम प्रेमी
खड़े हे नफरत कली चुनाही धरे हे खंजर ल धार करके

डगर मुहब्बत के तो कठिन हे सहज समझबे  नही जी 'बादल'
कफन बने मूँड़ बाँध लेबे तहूँ अपन सुख उजार करके

चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़

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