Total Pageviews

Monday 3 August 2020

छत्तीसगढ़ी गजल -जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

छत्तीसगढ़ी गजल -जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फाइलुन फाइलुन फाइलुन 

212 212 212 212  

मोह मद मा फँसे आदमी मन इहाँ।
फोकटे के हँसे आदमी मन इहाँ।।1

साँप कस धर जहर घूमथे सब डहर।
शांति सुख ला डँसे आदमी मन इहाँ।2

ढोर बन मिल जथे चोर बन मिल जथे।
माथ चंदन घँसे आदमी मन इहाँ।।3

तोर अउ मोर मा धन रतन जोर मा।
डोर धर गल कँसे आदमी मन इहाँ।4

छोड़ के गाँव ला अउ मया छाँव ला।
हे शहर मा धँसे आदमी मन इहाँ।5

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...