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Saturday 1 August 2020

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

गजल- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन 
212 212 212 212 

बन सिपाही कलम ज्ञान ला बाँट ले।
का गलत का सही बात ला छाँट ले।।

मेहनत के सदा मान होथे इँहा।
जोर जाँगर कमा ढेरा सुख आँट ले।।

चार दिन के जवानी पहा सुख धरे।
फिर बुढ़ापा पहाये हे दुख खाट ले।।

प्रेम बिरवा लगा छाँव सुख जन मिले।
काँटा कुमता गढ़े पाँव ना काट ले।।

एक मनखे सबो एक हे तो लहू।
भेद खाई बढ़े रात दिन पाट ले।।

गजलकार- इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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