गजलकार-चोवा राम वर्मा'बादल-'
*बहरे कामिल मुसम्मन सालिम*
*मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन*
11212 11212 11212 11212
खवा के वो मोहनी मोला पगला बना डरे बही जान ले
सँगे जीना मरना सँगे मा परही कसम से तैं बने ठान ले
भरे हे दगा के गहिर कुआँ गिरे मा परान का बाँचही
न भरोसा हे न तो आसा हे आ बँचाही भाई मितान ले
सरी दुनिया डंका हा बाजथे अरे देख झन गड़ा के नजर
लमा झन अपन बड़े झंडा हे बड़े का तिरंगा के शान ले
हे बचन के पक्का सदा निभाथे परन जे वो कभू ठानथे
कभू अजमा ले डिगे भारतीय नहीं अपन दे जुबान ले
सरू जे निचट वो किसानी मा रमे बड़ पछीना गिराथे
महा पाप झोली मा भरथे करथे जे छल कपट जी किसान ले
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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Monday, 17 August 2020
गजलकार-चोवा राम वर्मा'बादल-'
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गजल
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