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Saturday, 1 August 2020

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

212 212 212 212

हम अभी साथ हन साथ के बात कर
दिल अगोरत हे दिल ले मुलाकात कर

दूर बइठे हवच सॉंझ हो गे सजन
फेर काली सहीं आज झन रात कर

ललहुॅं हो गे सुरुज सर्द हो गे हवा
मैं जुड़ावत हवॅंव तैं मोला तात कर

मैं चकोरी असन तैं सजन चन्द्रमा
हे शरद तैं मयारस के बरसात कर

रीति के मार ले मैं तो घायल हवॅंव
दे के भाषण तहूं झन तो आघात कर

-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

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