छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
हम अभी साथ हन साथ के बात कर
दिल अगोरत हे दिल ले मुलाकात कर
दूर बइठे हवच सॉंझ हो गे सजन
फेर काली सहीं आज झन रात कर
ललहुॅं हो गे सुरुज सर्द हो गे हवा
मैं जुड़ावत हवॅंव तैं मोला तात कर
मैं चकोरी असन तैं सजन चन्द्रमा
हे शरद तैं मयारस के बरसात कर
रीति के मार ले मैं तो घायल हवॅंव
दे के भाषण तहूं झन तो आघात कर
-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'
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