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Thursday, 6 August 2020

गजल -मनीराम साहू मितान

 गजल -मनीराम साहू मितान


बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम

फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन

    

212  212  212 212


झार मिलके मया गीत गाबो चलव।

पेंड़ सुम्मत के सुग्घर लगाबो चलव।


भागही देख बइरी हमर फेट ला,

मिल‌ मुठा कस सबो झन बॅधाबो चलव।


काम साॅपर करे के मजा हे अलग,

हाॅसबो गोठियाबो कमाबो चलव।


हे बहत फोकटे जल गिरे हे नॅगत,

छेंक ओकर नफा सब उठाबो चलव।


बड़ पनपथे बिमारी जी चउमास मा,

कर उदिम रोग दुरिहा भगाबो चलव।


आय सावन‌ हवय माह पावन हवय,

हम उमानाथ शिव ला मनाबो चलव।


हे बिकत देख ले अब तो गोबर घलो,

मिल सबो आज गउधन बॅचाबो चलव।


बात लव मान जी सच मनी हे कहत,

छोड़ के बैर मिलबो मिलाबो चलव।


मनीराम साहू मितान

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