गजल- चोवा राम 'बादल'
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
देख इंसान के तो गलत काम हे
वो बिहनिया ले गटकत भरे जाम हे
डरना कानून ले मनखे मन छोड़ दिन
चोरी अउ लूट माते सरेआम हे
मैं बधाई कहाँ ओला कब देय हौं
फेर कइसे के अखबार मा नाम हे
लागथे कैद कर लिन सुरुज ला उहाँ
तब्भे रोज्जे हमर अँगना मा शाम हे
साँप ताकत हे तितली तुरत भाग जा
दाँत मा हे जहर जीभ हा लाम हे
जेन हा बेसहारा हे संसार मा
सिरतो मा ऊँकरो बर सिया राम हे
सस्ता झन तैं समझ ककरो जी प्यार ला
तोर तो हैसियत ले उपर दाम हे
बाँह मा चंदा थोकुन थिरा ले अभी
घूम झन खोर मा देख ले घाम हे
मूँड़ पीरा कहाँ तो मिटाही सगा
याद रख वादा के नकली ए बाम हे
चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़
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