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Saturday 1 August 2020

गजल- चोवा राम 'बादल'

गजल- चोवा राम 'बादल'

बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212  212  212  212 

देख इंसान के तो गलत काम हे
वो बिहनिया ले गटकत भरे जाम हे

डरना कानून ले मनखे मन छोड़ दिन
चोरी अउ लूट माते सरेआम हे

मैं बधाई कहाँ ओला कब देय हौं
फेर कइसे के अखबार मा नाम हे

लागथे कैद कर लिन सुरुज ला उहाँ
तब्भे रोज्जे हमर अँगना मा शाम हे

साँप ताकत हे तितली तुरत भाग जा
दाँत मा हे जहर जीभ हा लाम हे

जेन हा बेसहारा हे संसार मा
सिरतो मा ऊँकरो बर सिया राम हे

सस्ता झन तैं समझ ककरो जी प्यार ला
तोर तो हैसियत ले उपर दाम हे

बाँह  मा चंदा थोकुन थिरा ले अभी
घूम झन खोर मा देख ले घाम हे

मूँड़ पीरा कहाँ तो मिटाही सगा
याद रख वादा के नकली ए बाम हे

चोवा राम 'बादल'
हथबन्द, छत्तीसगढ़

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