ग़ज़ल ---आशा देशमुख
*बहरे रजज मखबून मरफू मुखल्ला*
मुफाइलुन फाइलुन फ़उलुन मुफाइलुन फ़ाइलुन फ़उलुन
1212 212 122 ,1212 212 122
किसम किसम के बहर मिलत हे ये काफिया के अकाल होगे
इँहा उहाँ ले रदीफ़ खोजे ,बने ग़ज़ल तो कमाल होगे।
अलग अलग रंग हे सबो के,लिखाय सब बर अलग कहानी
तुँहर मुड़ी मा लगे हे चंदन,हमर मुड़ी बर गुलाल होगे।
बदल बदल के ये पाख आये,कभू अँजोरी कभू अँधेरी
कुलुप अमावस में बार दीया, गली डहर बर मशाल होगे।
हे एक साँचा ढलाय मनखे,बटाय यजु जाप आचमन मा
जले हृदय जोत एक भीतर,कहूँ खुदा रब दयाल होगे।
करय भगीरथ अबड़ तपस्या,तभे तो दउँड़त हे आय गंगा
सरग बरोबर लगय ये भुइयाँ, भगत जगत सब निहाल होगे।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
Total Pageviews
Monday, 10 August 2020
ग़ज़ल ---आशा देशमुख
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
गजल
गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...
-
गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...
-
गजल बहरे मुतकारीब मुसमन सालिम फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन बहर- 122 122 122 122 घरो घर सफाई ल मजदूर करथे। लिपाई पुताई ल मजदूर करथे। भर...
-
गजल- दिलीप कुमार वर्मा बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़ फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन 212 1212 1212 1212 रोज के...
No comments:
Post a Comment