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Monday 10 August 2020

ग़ज़ल ---आशा देशमुख

 ग़ज़ल ---आशा देशमुख

*बहरे रजज मखबून मरफू मुखल्ला*

मुफाइलुन  फाइलुन फ़उलुन मुफाइलुन  फ़ाइलुन  फ़उलुन

1212  212  122  ,1212 212 122

किसम किसम के बहर मिलत हे ये काफिया के अकाल होगे
इँहा उहाँ ले रदीफ़ खोजे ,बने ग़ज़ल तो कमाल होगे।

अलग अलग रंग हे सबो के,लिखाय सब बर अलग कहानी 
तुँहर मुड़ी मा लगे हे चंदन,हमर मुड़ी बर गुलाल होगे।

 बदल बदल के ये पाख आये,कभू अँजोरी कभू अँधेरी
कुलुप अमावस में बार दीया, गली डहर बर मशाल होगे।

हे एक साँचा ढलाय मनखे,बटाय यजु जाप आचमन मा
जले हृदय जोत एक भीतर,कहूँ खुदा रब दयाल होगे।

करय भगीरथ अबड़ तपस्या,तभे तो दउँड़त हे आय गंगा
सरग बरोबर लगय ये भुइयाँ, भगत जगत सब निहाल होगे।

आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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