गजल -दुर्गा शंकर इजारदार
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
बाप दाई ला झन तँय भुलाबे कभू ,
दुःख देके गा झन तँय रुलाबे कभू।।
पोंसवा तो कुकुर गुन ला गावय नहीं,
संग खुद के गा झन तँय सुलाबे कभू ।।
तँय बिताले हँसी मा सरी जिंदगी,
मुँह ला तो गा झन तँय फुलाबे कभू।।
मान करथे समय के वो होथे सफल,
सुन समय ला गा झन तँय झुलाबे कभू।।
काज दुर्गा समाजीक कर्जा धरे ,
भात खाये ब झन तँय बुलाबे कभू।।
दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़(छत्तीसगढ़)
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