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Saturday 1 August 2020

गजल- दिलीप कुमार वर्मा

गजल- दिलीप कुमार वर्मा 
 बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम 
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन 
212  212  212  212 

गाँव के खार मा एक अधवार हे। 
देवता जे बसे तेन रखवार हे। 

झन उलझबे कका राह रेंगत कभू। 
हर गली मा मिले एक मतवार हे। 

वो कहाँ आय पाथे समे मा सखी।
वो जिहाँ जाय तिहँचे तो लगवार हे।  

हाथ धोके पड़े मोर पाछू हवय।
तँय डरा झन मोरो तीर तलवार हे।

का डराथच तहूँ आय तूफान ला।
राम के नाम जब तोर पतवार हे। 

रचनाकार- दिलीप कुमार वर्मा 
बलौदाबाजार छत्तीसगढ़

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