ग़ज़ल--आशा देशमुख
बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
आज बिजली हा कड़कत हवय जान ले।
मोर हिरदे हा धड़कत हवय जान ले।
देख खिड़की के पल्ला बने बन्द कर
ये हवा मा हे खड़कत हवय जान ले।
तँय कहाँ हस अभी तक तो नइहे खबर
मोर आँखी हा फड़कत हवय जान ले।
नानकुन होय खीला तभो हे जबड़
काँच के बीच तड़कत हवय जान ले।
देश के हाल बेहाल होवत हवय।
चीज ला स्वार्थ हड़कत हवय जान ले।
आजकल तो बफर के चलागन हवय
लोग मरनी मा झडक़त हवय जान ले।
भूख मरगे सुहावय नही स्वाद हा।
रोग राई हा भड़कत हवय जान ले।
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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