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Friday 14 August 2020

छत्तीसगढ़ी मुकम्मल गजल- मनीराम साहू‌ 'मितान'

 छत्तीसगढ़ी मुकम्मल गजल- मनीराम साहू‌ 'मितान'

बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला

मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन

1212 212 122 1212 212 122

अपन बनौकी तहूॅ बनाले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।
भजन‌ के गंगा डुबक नहाले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

हटर हटर मा बुड़े रथच गा, कमाय के धुन‌ चढ़े हवय बड़,
असल‌ रतन ले लगन‌ लगाले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

पहा जही जी सबो हा देखत, कमाय धन जन सबो सरेखत,
समे रहत हरि मदन मना ले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

कहत रथच जे जिनिस ला मोरे, सबो हवय गा निसार माया,
अपन बनक‌ बर मुॅहू लमा ले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

कहाॅ भटकथस जतर खतर गा, हवय सबो सुख किसन शरन मा,
छुटय चरन‌ झन बने जमा ले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

असल‌ समे मा ये काम आही, बॅधाय गठरी सॅगेच जाही,
बने धरम पुन‌ रहत कमाले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

नटत हवच तैं मनी बचन ले, जपन‌ करे बर दिये रहे गा,
अपन धनी ले मया जगा ले, रमाय रख मन किसन‌ कन्हैया।

मनीराम साहू 'मितान'

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