छत्तीसगढ़ी गज़ल- चोवा राम वर्मा'बादल'
बहरे रजज मखबून मरफ़ू' मुखल्ला
मुफाइलुन फाइलुन फ़ऊलुन मुफाइलुन फाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 122
हमन हवन मन ले हार माने कहाँ बने कस सँवर जी पाबो
परे हवन छोइहा बरोबर कहाँ बने कस कदर जी पाबो
मिलै नहीं पेज हा बरोबर हँकर हँकर के हमन कमाथन
बँचै नहीं कुछ उँकर तो मारे कहाँ ले हम पेट भर जी पाबो
कुलुप अँधेरा कुटी समाये महल जगाजग अँजोर भारी
गरीब के गर बँधे लचारी झुके कमानी कमर जी पाबो
पढ़न लिखन अउ लड़न बने हम अपन सबो हक अगर हे पाना
अलग नहीं एक साथ होके तभे सरग ला अमर जी पाबो
गड़ा के मूँड़ी बहुत चले हन उठा के मूँड़ी नजर मिलावन
जवाब ईंटा के मार पथरा कसर निकालत असर जी पाबो
चलाक मन के समझ चलाकी चलन हमूँ चाल गोटी मारे
तभेच शकुनी ममा के आगू ढुला के पासा ठहर जी पाबो
जगा के आसा करे भरोसा किसान कस हम बजाके जाँगर
असाड़ आही बरसही 'बादल' गली ढुलोही बतर जी पाबो
चोवा राम वर्मा'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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Wednesday, 12 August 2020
छत्तीसगढ़ी गज़ल- चोवा राम वर्मा'बादल'
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गजल
गजल 2122 2122 2122 पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खा...
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वाह वाह बहुत सुग्घर
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