गजल-दुर्गा शंकर ईजारदार
*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़*
*फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*
*212 1212 1212 1212*
*
तुलसी चौंरा हे कहाँ कहाँ बँधाय गाय हे,
द्वार मा कुकुर से सावधान तो लिखाय हे।।
बाप बेटा मा बता भला कहाँ सुमत हवय,
नाता रिश्ता हर घलो इहाँ गजब घुनाय हे।।
चार दिन के प्यार मा तो लइका होगे हे अँधा,
चार दिन के चांदनी मा बाप मां भुलाय हे।।
देख ले रसायनिक ये खातु के प्रभाव मा,
खेत खार मेड़ पार घात तो बँदाय हे।।
रोज रोज वोट माँगे आत हे चुनाव बर,
मंत्री पद के पात पाँच साल ले लुकाय हे।।
दाना पानी देख लोभ मा झँपापे झन कभू,
होशियार हे शिकारी जाल ला बिछाय हे।।
जान ला गँवाय हे जवान मन तो देश बर ,
शान ले तभे तिरंगा आज फरफराय हे ।।
दुर्गा शंकर ईजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
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