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Saturday, 23 January 2021

ग़ज़ल - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"*

 *ग़ज़ल - इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"*


*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़*


*फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*


*212 1212 1212 1212*


सत्यनाम नाम हा सदा जगत मा सार जी

बानी घासी दास गुरु समाज मा सुधार जी


लोभ झूठ क्रोध चिंता भ्रम अगन समान हे

तोड़ दुख के फाँस जाला सुख डगर निहार जी।


पाँच तत्व काया सृष्टि तोर मोर जान ले।

सत पुरुष ले जोड़ राखौ साँसा के तो तार जी।


सत करम करत कमा ले नाम मान ज्ञान तैं।

मोह के बने महल मा घोर अंधकार जी।


सत्यबोध बाँध ले सुमत के डोर गाँव घर।

भाई भाई मा दिखत हे आपसी दरार जी।



इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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