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Friday, 29 January 2021

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़

फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन


212 1212 1212 1212


देशभक्त ओ कहाही लोक के जुबान मा

आस्था रखे चलत हे जेन संविधान मा


भावना ल मोर संगी छू टमड़ के देख ले

राष्ट्रगीत मा हे दिल परान राष्ट्रगान मा


शान से धजा तिरंगा लहरे चीरकाल तक

जल म थल म बल सकल म अउर आसमान मा


फूट डारबे कहॉं ले देश भर नता म हें

भोजली कका बड़ा दीदी बबा मितान मा


तैं किंजर किंजर के खोज तोर तरनतारनी

मैं परमपिता के दरश पाए हॅंव किसान मा


जाड़ घाम के फिकर न कष्ट चतुर्मास के

मैं निहारथॅंव प्रभू ल सेना के जवान मा


हे सफल करम धरम कलम के कलमकार के

जिन्दगी के भाग बर लिखे गढ़े गियान मा


-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

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