छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़
फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212
देशभक्त ओ कहाही लोक के जुबान मा
आस्था रखे चलत हे जेन संविधान मा
भावना ल मोर संगी छू टमड़ के देख ले
राष्ट्रगीत मा हे दिल परान राष्ट्रगान मा
शान से धजा तिरंगा लहरे चीरकाल तक
जल म थल म बल सकल म अउर आसमान मा
फूट डारबे कहॉं ले देश भर नता म हें
भोजली कका बड़ा दीदी बबा मितान मा
तैं किंजर किंजर के खोज तोर तरनतारनी
मैं परमपिता के दरश पाए हॅंव किसान मा
जाड़ घाम के फिकर न कष्ट चतुर्मास के
मैं निहारथॅंव प्रभू ल सेना के जवान मा
हे सफल करम धरम कलम के कलमकार के
जिन्दगी के भाग बर लिखे गढ़े गियान मा
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
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