ग़ज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे हजज़ मुसम्मन अशतर मक्बूज मक्बूज मक्बूज
212 1212 1212 1212
कुछ हमर सवाल के जवाब दे ला परही अब
होत ये बवाल के जवाब दे ला परही अब
मोहा सब जथे इहाँ तुँहर तो सुनके गोठ ला
ये का कमाल के जवाब दे ला परही अब
सब जिनिस के भाव सुरसा मुँह सही बढ़त हवै
दाल बिन थाल के जवाब दे ला परही अब
आही के नही इहाँ कभू तो अच्छा दिन हमर
देख फट्टे हाल के जवाब दे ला परही अब
आय लोटा धर रहेव भर तिजोरी गय तुँहर
बेहिसाब माल के जवाब दे ला परही अब
का करेव नइ करेव मुखिया पा के कुरसी ला तुमन
'ज्ञानु' पाँच साल के जवाब दे ला परही अब
ज्ञानु
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