Total Pageviews

Saturday 23 January 2021

गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी

 गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी 


बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महजूफ़ 

मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन 

221 1221 1221 122


हे कोन पुछैया ग इहाँ दीन दुखी के 

धर हाथ चलैया ग इहाँ  दीन दुखी के 


मिल जाथे अबड़ हाँसी गरीबी के उड़ैया

हे कोन चिन्हैया ग इहाँ दीन दुखी के 


बस मुँह ले जताथे मया सब घाव म मरहम

हे कोन लगैया ग इहाँ दीन दुखी के 


मिल कोनो जतिस स्वार्थ अपन छोड़ के अब

दुख पीरा हरैया ग इहाँ दिन दुखी के 


सब काम बनत ' ज्ञानु' मितानी ल निभाथे

नइ साथ निभैया ग इहाँ दीन दुखी के 


ज्ञानु

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...