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Friday, 15 January 2021

ग़ज़ल - जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 ,ग़ज़ल - जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम*


*फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन*


*212 1222 212 1222*


आज नइ दिखे सुख बाँटे तिसन युवा कोनो।

काँटा ला डहर के काँटे तिसन युवा कोनो।1


नइ मिले कहूँ कोती दीया धरके खोजे मा।

मीत ममता सत ला छाँटे तिसन युवा कोनो।2


आज के जमाना मा नइ मिले इहाँ काबर।

काम हे गलत ता डाँटे तिसन युवा कोनो।3


देख जेला तेहर बस अमृत धन धरइया हे।

नइ मिले जहर ला चाँटे तिसन युवा कोनो।4


दरुहा मँदहा मिल जाथे पर कहाँ कभू मिलथे।

डोर एकता के आँटे तिसन युवा कोनो।5


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)



2,ग़ज़ल - जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम*


*फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन*


*212 1222 212 1222*


चाँद का सुरुज का, हे सब जहान कागज मा।

पर हमाय नइ मनखे के, बियान कागज मा।1


गोभ देथे छाती ला गोठ बात भाला कस।

मीठ मीठ हावे सबके जुबान कागज मा।2


बिन ठिहा ठउर के कतको गली गली भटके।

ऊँच ऊँच बड़ बन गेहे मकान कागज मा।3


नइ दिखाय एक्को कन प्यार व्यार मिलथे तब।

सब मितानी तक देखाथे मितान कागज मा।4


जेला देख तेला बस चाह हावे कागज के।

लागथे मनुष मनके हे निशान कागज मा।5


सुख घलो हे कागज मा दुख घलो हे कागज मा।

सोय मनखे मन देखाथे उड़ान कागज मा।6


काई कस जमे मन मा तोर मोर के मैला।

हे पुराण कागज मा अउ कुरान कागज मा।7


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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