छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़
फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212
हर समय हरेक के हरेक सॉंस हा कहे
गॉंव के हवा शहर ले शुद्ध साफ स्वच्छ हे
देख धून्ध कोहरा कहे शहर के आदमी
गॉंव मा घलो हमार मेर घर-दुवार हे
मंतरी करा न पूछ जल हवा के हाल ला
ऑंकड़ा बताही कार्यकाल मा फरी बहे
हव कहे म हे भलाई बात ओखरे सहीं
मूर्ख मूड़पेलिहा सो ज्ञान-गोठ नइ लहे
लाम-लाम फेंक के सुजान ला झने थहा
हे गहिरमती उफल जबे ग पॉंव नइ थहे
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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