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Saturday, 23 January 2021

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़

फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन


212 1212 1212 1212


हर समय हरेक के हरेक सॉंस हा कहे

गॉंव के हवा शहर ले शुद्ध साफ स्वच्छ हे


देख धून्ध कोहरा कहे शहर के आदमी

गॉंव मा घलो हमार मेर घर-दुवार हे


मंतरी करा न पूछ जल हवा के हाल ला

ऑंकड़ा बताही कार्यकाल मा फरी बहे


हव कहे म हे भलाई बात ओखरे सहीं

मूर्ख मूड़पेलिहा सो ज्ञान-गोठ नइ लहे


लाम-लाम फेंक के सुजान ला झने थहा

हे गहिरमती उफल जबे ग पॉंव नइ थहे


-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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