छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
बिन बुलाए आना हे बिन पठोए जाना हे
आए जाए के जग मा लाखठन बहाना हे
आज भर बसेरा हे काली आए पहुना बर
काली भोर संझा रतिहा ले रथ रवाना हे
जिन्दगी म होने हे मीठ अउ करू अनुभव
एक के करत सुरता एक ला भुलाना हे
सावचेत रहना हे हर समे करमपथ मा
चोट चूक मा करही ताक मा जमाना हे
देश के सुमत समता बर कलम चलायेके
संगी नेक वादा सुखदेव ला निभाना हे
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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