गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे हजज़ मुसम्मन अशतर मक्फ़ूफ मक्बूज मुखन्नक सालिम
फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलन
212 1222 212 1222
हे गिरे कहूँ कोनो मिलगे उठावत चल
भूलगे हवय कोनो रसता दिखावत चल
गड़ घलो कभू जाथे कोन जानथे भाई
रसता मा परे काँटा खूँटी हटावत चल
काम आय नइ घर ला टोर कभू ये देथे
लोभ अउ सुवारथ के कचरा ला जलावत चल
नइ बना सकस कुछु कखरो बिगाड़ झन भाई
हो सकय अपन ता भाई हाथ ला बँटावत चल
हाथ पाँव तँय कतको मार होना जें होथे
बस अपन करम के डंडा इहाँ ठठावत चल
भूलना कहूँ तोला दुख दरद अपन हावय
बनके मस्तमौला गाना मया के गावत चल
सोच दूर हे मंजिल 'ज्ञानु' हटबे पीछू झन
छोड़ डर फिकर संसो पग अपन बढ़ावत चल
ज्ञानु
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