छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव
बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
लहर-तुकुर करत हवय सथीनहा नॅंगाय बर
रहे ल परही सावचेत सुख अपन बचाय बर
जगर-बगर कहॉं बरन दिही दीया ल डीह के
जिकी घलो ल नार के जे आ जथे सुगाय बर
कभू सुहाति गोठ मोल दे परखही लोभ ला
पिया खवा दिही घलो ओ चेत ल हजाय बर
सुमत सलाह एकता बने रहय धियान दे
सहीं समय अभी कहॉं हे यार मुॅंह फुलाय बर
कहॉं ले होय डर नहीं बिगाड़ छिन म हो जही
उमर पहा जथे कुछू सिधोय बर बनाय बर
-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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