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Friday, 15 January 2021

छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव

 छत्तीसगढ़ी ग़ज़ल-सुखदेव


बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़

मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन


1212 1212 1212 1212


लहर-तुकुर करत हवय सथीनहा नॅंगाय बर

रहे ल परही सावचेत सुख अपन बचाय बर 


जगर-बगर कहॉं बरन दिही दीया ल डीह के

जिकी घलो ल नार के जे आ जथे सुगाय बर


कभू सुहाति गोठ मोल दे परखही लोभ ला

पिया खवा दिही घलो ओ चेत ल हजाय बर


सुमत सलाह एकता बने रहय धियान दे

सहीं समय अभी कहॉं हे यार मुॅंह फुलाय बर


कहॉं ले होय डर नहीं बिगाड़ छिन म हो जही

उमर पहा जथे कुछू सिधोय बर बनाय बर


-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़

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