गजल-दुर्गा शंकर ईजारदार
*बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़*
*मफ़ऊल मुफ़ाईल मुफ़ाईल फ़ऊलुन*
*221 1221 1221 122*
विश्वास करे ता करे काकर ये जमाना,
थाना के सिपाही ह तो लूटत हे खजाना।
माँ बाप ला जीयत मा रे डंडा ले तैं मारे,
का होत मरे बाद रे गंगा में नहाना।।
वो भूख से मरथे करे जो काम किसानी,
लाला के तो कोठी मा ठसाठस भरे दाना।।
मतलब के बँधे डोर मा हे आज के मनखे ,
बस नाम के रहिगे हवै रिश्ता के निभाना।
सुख भोग करे संग मिले आज हे कतको,
दुर्गा कहाँ संगी भला दुख मा तैं बताना।।
No comments:
Post a Comment