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Saturday, 23 January 2021

गजल-गजानन्द पात्रे

गजल-गजानन्द पात्रे

 *बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम*

*फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन*

*212 1222 212 1222*



टोर फाँस भ्रम के सब ला गला लगाना हे।

गाँव घर सुघर सुमता जोत ला जलाना हे।


गोठ मीठ कर ले नित बाँट ले मया दुनिया

छोड़ आज कल चिंता हँसना अउ हँसाना हे।


ढाल बन खड़े रइहौ झन जुलुम कभू सइहौ

न्याय के सिपाही बन तीर बज्र चलाना हे।


लिख नवा इबादत इतिहास पुरखा के

थाम के कलम स्याही मान ला बढ़ाना हे।


सत्यबोध कहिथे सच ध्यान ला लगा के सुन।

स्वार्थ के सगा भाई मतलबी जमाना हे।



इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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