गज़ल- ज्ञानुदास मानिकपुरी
बहरे हजज़ मुसम्मन मक्बूज
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
का घाम छाँव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
शहर का गाँव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
बताँव का हवय परे ग कीरा चाल मा इँखर
फँसा के दाँव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
निकल जथे इँमन लगा के आग जाँति पाँति के
धरम के नाँव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
निपट जतिस तो लोकतंत्र के तिहार शाँति ले
सदा चुनाव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
कहूँ तो जीत गे चुनाव 'ज्ञानु' फेर पूछ झन
हे ठाँव ठाँव मा लड़ाथे नानजात मन अबड़
ज्ञानु
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