गजल-चोवा राम 'बादल'
*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़*
*फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*
*212 1212 1212 1212*
खप जथे सरी उमर नाम कुछ कमाय मा
देर नइ लगय चिटिक कमाय ला गँवाय मा
झन दुखाना दिल अजी गरीब के हँसी उड़ा
हो जही भसम सबो दुखी के निकले हाय मा
बात बात मा उलझ के हो जथे बवाल बड़
बात बिगड़े बन जथे मिला के मन बनाय मा
भेदभाव ला बढ़ा जे एकता ला डस डरिस
राजनीति जीतगे प्रजा ला तो लड़ाय मा
क्रांति के बिगुल बजै दसों दिशा हा काँप जय
संग दे उठा कदम मशाल अब जलाय मा
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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