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Saturday 23 January 2021

गजल-दुर्गा शंकर ईजारदार

 गजल-दुर्गा शंकर ईजारदार


*बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़*


*फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन*


*212 1212 1212 1212*


बाप के कमाई बेटा पानी कस बहात हे,

दिन के दारू भठ्ठी रात ताश मा पहात हे।।


एक बूंद पानी नइ तो आत हे गरीब घर ,

मंत्री के कुकुर स्विमिंग पूल मा नहात हे।।


हाड़ माँस तोड़ के  कमाथे गा किसान हर,

खेत मा तभे लगे तो धान लहलहात हे।।


बेटा जीये सौ बछर माँ कामना करत हवै,

माँ मरे तो जल्दी आज बेटा मन दहात हे।।


भाई भाई बीच मा तो आज दुश्मनी  हवै,

भाई देख भाई मन के जी कहाँ सहात हे ।।


गोड़ मा परे हे फोरा जल्दी फोर दार तँय,

जिंदगी रहत ले रे नहीं तो डहडहात हे।।


काम नाम से बड़े ये जानले जगत मा जी,

काम के प्रताप राम नाम महमहात हे।।


दुर्गा शंकर ईजारदार

सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)

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