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Wednesday, 12 August 2020

ग़ज़ल ---आशा देशमुख

 ग़ज़ल ---आशा देशमुख

*बहरे रजज मखबून मरफू मुखल्ला*

मुफाइलुन  फाइलुन फ़उलुन मुफाइलुन  फ़ाइलुन  फ़उलुन

1212  212  122  ,1212 212 122

फँसे न फांदा मा एक चिंगरी,भगाय मछरी बने जनिक हे।
बने नहा गोड़ ला लमाके ,तलाब पचरी बड़े जनिक हे।

बनव अमरबेल जी कभू झन,खुदे बनव पेड़ मेड़ माटी
नवा नवा बीज ला उगावव,हृदय के बखरी बड़े जनिक हे।

उही देवइया उही रखैया ,जगत रचे हे जगत रचैया
जिंखर तरी जीव नींद सूते,बनाय कथरी बड़े जनिक हे।

धरे हे काड़ी खनत हे खचुवा, कहत हवय अब पड़त हे सुख्खा
गहिर कुआँ मा भरे हे पानी, करम के रसरी बड़े जनिक हे।

खवात खावत दुसर भरोसा,चुनाव मा बोकरा कटावय
अपन कमाई चिंआँ बिसाये,कहय ये कुकरी बड़े जनिक हे।


आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

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