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Monday 21 September 2020

ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*

 *ग़ज़ल - चोवा राम 'बादल'*


*बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ*

मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन (फ़ेलुन)

*1212 1122 1212 22*


जमाना हा तको सिरतो जहर पियाही जी

भरे हे काई तो हिरदे समझ सताही जी


गरीब हम सदा ले हन कहाँ अमीरी हे

नवाँ पहिनके निकलबे तहाँ  रिसाही जी


पता अभी चले हे मोरो ऊँट छोटे हे

पहाड़ के तरी मा हे वो थरथराही जी


तैं मैं सदा जुड़े तो हन सबो नता बाँधे

उदिम चली बने करबो अँजोर आही जी


करू कसा ला कभू झन तैं भाख 'बादल' तो

इही करम हा तो भवपार ले के जाही जी


चोवा राम 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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