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Saturday, 26 September 2020

गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

 गजल- इंजी.गजानंद पात्रे "सत्यबोध"


*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन

2212  2212


मनखे पड़े भ्रम जाल मा।

बइठे कुमत के डाल मा।


सुमता भुलाये आज जन

जिनगी दिखे दुख काल मा।


सच के डगर ला छोड़ के

चलथे असत के चाल मा।


का सोंच मा पड़गे हवस

चिंता दिखत हे भाल मा।


पात्रे लिखे सच बात जब

सब ताल दौ सच ताल मा।।


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर ( छत्तीसगढ़ )

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