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Saturday, 26 September 2020

गजल--चोवा राम वर्मा'बादल'

 'गजल--चोवा राम वर्मा'बादल'

*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*

 

मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन

2212 2212


छत मा टहल के देख ले

थोकुन मचल के देख ले


रेंगें अबड़ हस फूँक के

कभ्भू फिसल के देख ले


चारों मुँड़ा बेहाल हे

हालत फसल के देख ले


असली कती तिरियाय हे

जलवा नकल के देख ले


बस्सा जही जी हाथ हा

माछी मसल के देख ले


हाबय गिरावट जीन मा

कतको नसल के देख ले


पथरा बने काबर गड़ी

'बादल' पिघल के देख ले


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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