'गजल--चोवा राम वर्मा'बादल'
*बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम*
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
छत मा टहल के देख ले
थोकुन मचल के देख ले
रेंगें अबड़ हस फूँक के
कभ्भू फिसल के देख ले
चारों मुँड़ा बेहाल हे
हालत फसल के देख ले
असली कती तिरियाय हे
जलवा नकल के देख ले
बस्सा जही जी हाथ हा
माछी मसल के देख ले
हाबय गिरावट जीन मा
कतको नसल के देख ले
पथरा बने काबर गड़ी
'बादल' पिघल के देख ले
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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