Total Pageviews

Saturday 26 September 2020

गजल-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"

  गजल-जीतेंद्र वर्मा"खैरझिटिया"


*बहरे रमल मुसद्दस सालिम*

फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन


*2122    2122    2122*


देख दुनिया के तमाशा ला कलेचुप।

खा मिलत हे ता बताशा ला कलेचुप।1


पीट झन तैंहर ढिंढोरा फोकटे के।

पूरा कर ले मन के आशा ला कलेचुप।2


जोड़े सब ला तोड़थे जालिम जमाना।

दरके मा तैं छाभ लाशा ला कलेचुप।3


सब जुरे सुख के समय मा जानथस तो।

झेल जम्मो दुख निराशा ला कलेचुप।4


फोकटे हे हाय हाये खैरझिटिया।

लेत चल नित चैन स्वाशा ला कलेचुप।5


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

No comments:

Post a Comment

गजल

 गजल पूस के आसाढ़ सँग गठजोड़ होगे। दुःख के अउ उपरहा दू गोड़ होगे। वोट देके कोन ला जनता जितावैं। झूठ बोले के इहाँ बस होड़ होगे। खात हावँय घूम घुम...